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डेलाराम अली को कोड़े मारने और जेल की सजा
09/07/2007

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ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खमैनई ने ईरानी महिलाओं को इस्लामी कानून से न खेलने की चेतावनी दी है । ईरानी महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने वाली डेलाराम अली को राज्य के खिलाफ दुष्प्रचार करने और सार्वजनिक व्यवस्था में बाधा डालने के तथाकथित अपराधों के लिए 10 कोड़े मारने और 34 महीने की जेल की सजा सुनाए जाने के दो दिन बाद उन्होंने यह कहा ।

डेलाराम अली ने जून, 2006 में तेहरान में एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन में भाग लिया था । वह और अन्य लोग उन ईरानी कानूनों का विरोध कर रहे थे, जो विवाह, तलाक, विरासत और बच्चे के संरक्षण के मामलों में महिलाओं के साथ पक्षपात करते हैं । इसके अतिरिक्त, ईरानी कानून कहता है कि एक महिला की गवाही पुरुष की गवाही से आधी कीमत की होती है । विश्वविद्यालय की छात्रा सुश्री अली ऐसे कानूनों को खत्म करने की मांग की याचिका पर 10 लाख हस्ताक्षर इकट्ठे करने के अभियान की सदस्य भी हैं ।

जून, 2006 में तेहरान में महिलाओं के अधिकारों के लिए किये गए प्रदर्शन को सुरक्षा फौजों ने बेरहमी से कुचल दिया था । करीब 70 लोग गिरफ्तार किये गए थे और कम-से-कम 8 को जेल की सजा दी गई थी । लेकिन ज्यादातर मामलों में सजाएं निलंबित कर दी गई थीं । सुश्री अली की सजा निलंबित नहीं की गई थी ।

ईरानी लेखिका अज़र नफीसी का कहना है कि दुनिया भर के स्वतंत्र लोगों का फर्ज है कि वे ईरानी सरकार द्वारा महिला अधिकारों के कार्यकर्ताओं के साथ किये जा रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाएं ।

"ईरानी प्रशासन को यह मालूम होना चाहिए कि विश्व इसके बारे में जानता है और दुनिया इसे सहन नहीं करेगी ।"

सुश्री नफीसी ने कुछ चरमपंथियों और ईरान की इस्लामी सरकार द्वारा रखे गए इस दावे की आलोचना की है कि ईरान में महिलाओं से किस तरह का व्यवहार किया जाता है, यह एक सांस्कृतिक मुद्दा है ।

"महिलाएं चाहे कहीं की भी हों, वे कोड़ों की मार खाना पसंद नहीं करतीं । कोई भी महिला पत्थरों से जान से मारा जाना पसंद नहीं करती या यह बताया जाना पसंद नहीं करती कि उसकी हैसियत पुरुष के बराबर नहीं है । ईरानी महिलाएं अमेरिकी या फ्रांसीसी या अफगानी महिलाओं की तरह खुश रहना चाहती हैं, आजादी चाहती हैं और अधिकार चाहती हैं ।"

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शौन मैककॉर्मेक ने एक बयान में कहा कि अमेरिका ईरान की महिलाओं के साथ है, जो अपने सार्वभौमिक अधिकारों और न्याय के लिए अपने देश में साहसपूर्वक संघर्ष कर रही हैं ।


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