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Women's rights activists in Iran |
ईरान की कट्टरपंथी सरकार महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने वालों का लगातार दमन कर रही है ।
21-वर्षीय ज़ैनब पैगम्बरज़ादेह विश्वविद्यालय की छात्रा है । वह ईरानी कानून के तहत महिलाओं को समान दर्जा न दिये जाने के विरोध में एक याचिका पर 10 लाख हस्ताक्षर जुटाने के अभियान में भी सक्रिय है ।
हाल ही में सुश्री पैगम्बरज़ादेह को एविन जेल भेज दिया गया, क्योंकि उसने कहा था कि उसका परिवार इतने बड़े बॉन्ड का भुगतान नहीं कर सकता । तेहरान में क्रांतिकारी अदालत ने बॉन्ड की मांग की थी, क्योंकि सुश्री पैगम्बरज़ादेह ने मार्च में तेहरान में महिलाओं के अधिकारों के लिए हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन में भाग लिया था ।
ईरान के पक्षपातपूर्ण कानूनों में परिवर्तन करने की शांतिपूर्ण वकालत करने वाली महिलाओं पर अत्याचार 2006 से बढ़ता जा रहा है । जून, 2006 में सुरक्षा अधिकारियों ने तेहरान में एक रैली में महिलाओं के अधिकारों के लिए प्रदर्शन करने वालों को निर्ममता से पीटा था । 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और 1 दर्जन को अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया था ।
इस साल मार्च में 5 महिला अधिकार कार्यकर्ताओं पर मुकदमा चलाए जाने का अदालत में विरोध किया गया । सुश्री पैगम्बरज़ादेह और 32 अन्य कार्यकर्ताओं को ईरानी सुरक्षा बलों ने ठोकरें मारीं, पीटा और गिरफ्तार कर लिया । पत्रकार और महिला अधिकार कार्यकर्ता महबूबा अब्बासगोलीज़ादेह तथा मानवाधिकार वकील शादी सद्र को दो हफ्तों से ज्यादा समय तक एविन जेल में रखा गया । अप्रैल में 6 महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को, जिन्होंने जून, 2006 की रैली में भाग लिया था, कथित तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ काम करने के लिए जेल की सजा सुनाई गई थी ।
सुश्री एरिका बार्क्स-रगेल्स अमेरिका की लोकतंत्र, मानवाधिकार और श्रम के लिए सहायक उप विदेश मंत्री हैं । उन्होंने कहा कि अमेरिका दुनिया भर की उन महिलाओं का समर्थक है, जो ऐसे समाजों का निर्माण करने के लिए काम करती हैं, जहां सभी नागरिकों के अधिकारों का सम्मान किया जाता है ।
"महिलाओं के अधिकार भी मानवाधिकार हैं और मानवाधिकार महिलाओं के अधिकार हैं । अगर आधे समाज को उसके अधिकार नहीं मिलते तो पूरा समाज स्वतंत्र कैसे हो सकता है ?"
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शौन मैककॉर्मेक ने कहा कि अमेरिका चाहता है कि ईरानी लोगों को भी वैसी ही आजादी मिले, जो अन्य लोगों को मिली हुई है । "हर व्यक्ति को समान अधिकार है कि वह अपनी राय स्वतंत्रतापूर्वक व्यक्त कर सके, समाज के संदर्भ में वैसे जीवन बिता सके, जो उसे सही लगता हो और उसे राज्य की ओर से दमन किये जाने का डर न हो । ईरान में ऐसा नहीं है ।" श्री मैककॉर्मेक ने कहा कि अमेरिका इन मुद्दों पर बोलना जारी रखेगा ।