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10 जनवरी  2009 

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श्रीलंका में बाल सैनिक
19/05/2007

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बाल और सशस्त्र संघर्ष पर राष्ट्र संघ सुरक्षा परिषद के कार्य दल ने श्रीलंका में आतंकवादी गुटों द्वारा बाल सैनिकों का इस्तेमाल करने की कड़ी निंदा की है । राष्ट्र संघ कार्यदल ने कहा है कि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम या तमिल टाइगर्स ने विद्रोही नेताओं द्वारा पहले किये गए वायदों के बावजूद बच्चों को अगवा करके अपनी सशस्त्र टुकड़ियों में जबर्दस्ती भर्ती करना जारी रखा है और यहां तक कि बढ़ा भी दिया है । कार्यदल का कहना है कि तमिल टाइगर्स के अलग हुए गुट के बारे में भी यह सच है ,जिसका नेता करुणा अम्मान है ।

कार्यदल ने दोनों आतंकवादी गुटों से बाल-सैनिकों की भर्ती बंद करने और उन्हें उनके परिवारों को सौंपने के लिए कहा है । राष्ट्र संघ संस्था ने तमिल टाइगर्स को चेतावनी भी दी है कि अगर उसने बच्चों को सैनिकों की तरह इस्तेमाल करना जारी रखा तो उसके खिलाफ और कदम उठाए जा सकते हैं, जिसमें सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंध लगाना भी शामिल है ।

कथित तौर पर 2006 के दौरान 450 से ज्यादा बच्चों को जबरन तमिल टाइगर्स ने भर्ती किया था, जिससे उनकी सेना में बाल सैनिकों की कुल संख्या 1,000 से ज्यादा हो गई । समझा जाता है कि इसी अवधि के दौरान करुणा गुट ने 200 से ज्यादा बच्चों को जबर्दस्ती भर्ती किया था । मानवाधिकार निरीक्षकों का अनुमान है कि इन बच्चों में एक-तिहाई से अधिक लड़कियां हैं ।

तमिल टाइगर्स द्वारा भर्ती की गई 16-वर्षीय लड़की ने बताया कि जिस रात विद्रोही जबर्दस्ती उसके घर में घुसे, वह गहरी नींद में सो रही थी । उसने बताया कि इन लोगों ने मुझे घर से बाहर घसीट लिया । उन्होंने उसकी मां को जमीन पर धक्का दे दिया । जब उसके पिता ने उसका अपहरण रोकने की कोशिश की तो उसे जंगल में ले जाकर उसकी पिटाई की गई । तमिल टाइगर्स द्वारा अगवा किये गए एक लड़के की मां ने बताया कि जब करुणा गुट के बंदूकधारी उसके एक अन्य बेटे को लेने आए तो उसने एक हमलावर के पैर पकड़ लिये और उससे विनती की कि उसके बेटे को न ले जाए । उसने बताया कि हमलावर ने उसे जोर से ठोकर मार दी ।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपनी नवीनतम मानवाधिकार रिपोर्ट में कहा है कि 2006 के दौरान तमिल टायगर्स ने बच्चों को जबर्दस्ती भर्ती करना और युद्ध में उन्हें सहायता देने वाले कार्यों तथा लड़ाई में इस्तेमाल करना जारी रखा । विदेश मंत्रालय ने कहा कि करुणा गुट ने भी जबर्दस्ती बाल सैनिकों को भर्ती किया ।

सशस्त्र संघर्ष में बच्चों का इस्तेमाल युद्ध के नियमों और बाल अधिकारों का गंभीर हनन है । अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीज़ा राइस कहती हैं कि बच्चों को हत्याएं करने के लिए मजबूर करना कड़वी सच्चाई है, जिस पर प्रतिक्रिया जरूरी है । उन्होंने कहा कि मानवीय गरिमा की रक्षा करने की मांग पर बहस नहीं हो सकती और यह मांग हर देश के लिए समान है ।


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