मुस्लिम दुनिया के कई हिस्सों की महिलाएं इस्लाम में महिलाओं के अधिकार के सवाल पर आयोजित सम्मेलन में भाग लेने के लिए वॉशिंगटन डी.सी पहुंची हैं । एक गैर-सरकारी संगठन दी सेंटर फॉर दी स्टडी ऑफ इस्लाम एंड डेमोक्रेसी ने इस सम्मेलन को प्रायोजित किया है । इस केंद्र के अध्यक्ष रादवन मसमूदी ने कहा कि पश्चिमी देशों और मुस्लिम दुनिया में इस्लाम में महिलाओं के अधिकार को लेकर काफी गलतफहमियां हैं । उन्होंने कहाः
“मैं नहीं समझता कि यह एक महज संयोग था कि इस दुनिया से अपनी विदाई वाले अंतिम संदेश में पैगम्बर मोहम्मद ने मुसलमानों से यह बात जोर देकर कही और उन्हें याद दिलाया कि वे महिलाओं के साथ अच्छा व्यवहार करें और उनका सम्मान करें । अल्लाह उनकी आत्मा को शांति दे । उन्होंने वास्तव में महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करने पर काफ़ी ज़ोर दिया ।”
श्री मसमूदी ने कहा कि हालांकि इस्लाम ने 1,400 वर्ष पहले महिलाओं को जो अधिकार दिये, वे दूसरे धर्मों और सभ्यताओं की तुलना में उस समय बेहद क्रांतिकारी थे । दुर्भाग्यवश महिलाओं का वह दर्जा हमेशा बरकरार नहीं रहा । उन्होंने कहा कि अब तो यही कहा जा सकता है कि यह अफ़सोस की बात है कि हम लोग उनकी तुलना में काफी पीछे हो गए हैं ।
एक अफगान मानवाधिकार कार्यकर्ता बेलक्विस अहमदी ने कहा कि धार्मिक उग्रवादियों ने महिलाओं के अपने दमन को सही ठहराने के लिए इस्लामी शिक्षा को विकृत रूप में पेश किया । उन्होंने कहा तालिबान शासन के दौरान अफगान महिलाओं की आजादी एवं उनका मानवीय सम्मान जाता रहा ।
“मस्जिदों ने सार्वजनिक रूप से यह घोषणा की कि महिलाएं , पुरुषों की तुलना में नीची हैं और अल्लाह ने महिलाओं को पुरुषों की सेवा एवं बच्चे पैदा करने के लिए बनाया है । पुरुषों को यह निर्देश दिया गया कि महिलाओं के जीवन के हर पहलू पर नजर रखना उनका धार्मिक कर्तव्य है ।”
सुश्री अहमदी ने कहा कि तालिबान शासन के पतन के बाद से अफगान महिलाओं को बदलाव का अनुभव हो रहा है, लेकिन अभी भी खासी समस्याएं बरकरार हैं ।
“पारंपरिक प्रथाएं और चलन आमतौर पर संवैधानिक एवं इस्लामी कानूनों की सीमाएं लांघ जाती हैं । धर्म को अक्सर देश में लिंग आधारित भेदभाव को जारी रखने के लिए प्रयोग में लाया जाता है ।”
फिलिपीन काउंसिल फॉर इस्लाम एंड डेमोक्रेसी की अध्यक्ष अमीना रसूल-बर्नार्डो ने कहा कि अब अपनी चुप्पी तोड़ने का समय आ गया है । उन लोगों के साथ मिलने का समय आ गया है, जो वे बातें बोल रहे हैं, जो हमारी आस्था में सच हैं । समय आ गया है कि समुदायों को लोकतांत्रिक बनाया जाए ।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के लोकतंत्र, मानवाधिकार और श्रम मामलों की उप सहायक विदेश मंत्री एरिका बार्क्स रगल्स ने कहा कि अमेरिका मुस्लिम महिलाओं के साथ खड़ा है ।
“हम सरकार ,एवं सभ्य समाज, व्यापार समुदाय और ऐसे आम लोगों के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं जो एक शांतिपूर्ण, सम्मानजनक और सबको साथ लेकर चलने वाला समाज बनाना चाहते हैं, जो तमाम नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करता हो ।”
सुश्री बार्क्स-रगल्स ने कहा कि हम मानते हैं कि महिलाओं के अधिकार भी मानवाधिकार हैं ।