विदेश मंत्रालय के कार्यकारी आतंकवाद-विरोधी समन्वयक, फ्रैंक उरबैन्सिक का कहना है कि आतंकवादियों को पाकिस्तान के कबीलाई इलाकों में शरण मिल रही है ।
"दिसंबर, 2001 में तालिबान का पतन होने के बाद, पाकिस्तान में संघ-शासित कबीलाई क्षेत्र अल-कायदा आतंकवादियों और अन्य चरमपंथी विद्रोहियों के लिए सुरक्षित स्थल बन गए हैं । इनका सफाया करने और संघ-शासित कबीलाई क्षेत्रों में प्रभावशाली सरकार स्थापित करने के पाकिस्तान के प्रयासों के बावजूद ये इलाके आतंकवादियों के लिए सुरक्षित हैं और पाकिस्तान तथा पड़ोसी देशों में अस्थिरता का कारण बने हुए हैं ।
श्री उरबैन्सिक कहते हैं कि पाकिस्तान सरकार और कबीलाई नेताओं के बीच 2006 में समझौता हुआ था कि वे आतंकवादियों को शरण नहीं देंगे, पर कबीलाई नेताओं ने इसका पालन नहीं किया ।
"पाकिस्तान सरकार ने अफगानिस्तान से लगी सीमा पर करीब 8,000 सैनिक तैनात किए हुए हैं, जिनमें सेना और फ्रंटियर कॉर्प्स यूनिट के जवान शामिल हैं ...पाकिस्तानी सेना और फ्रंटियर कॉर्प्स यूनिट ने संघ-शासित कबीलाई क्षेत्रों में अल-कायदा और अन्य उग्रवादियों के ठिकानों को निशाना बनाया है और छापे मारे हैं । संघ-शासित कबीलाई क्षेत्रों के कबीलाई नेताओं ने सरकार के साथ सितंबर में उत्तर वजीरिस्तान समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन उनका पालन नहीं किया, जिसकी वजह से अफगानिस्तान में विद्रोहियों की घुसपैठ बढ़ गई ।
आतंकवाद पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में, अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 2006 में लगभग 900 पाकिस्तानियों की मौत आतंकवादी हमलों में हुई । करीब 1,500 पाकिस्तानी गंभीर रूप से घायल हो गए । ये मृतक अल-कायदा और अन्य चरमपंथियों, जैसे कि तथाकथित बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के शिकार हुए ।
विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, सुन्नी और शिया मुस्लिम चरमपंथियों के बीच हुई हिंसा में सैंकड़ों जानें गईं । पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ ने पाकिस्तानियों से चरमपंथ और हिंसा को नकारने के लिए कहा है । 2006 के दौरान, उनकी सरकार ने कुछ धार्मिक नेताओं द्वारा हिंसा और असहिष्णुता भड़काने पर रोक लगाने के लिए कुछ असंतुलित कदम उठाए थे ।
पाकिस्तानी, ब्रिटिश और अमेरिकी कानून लागू करने वाली एजेंसियों के बीच सहयोग की वजह से अगस्त, 2006 में लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर बम विस्फोट टाला जा सका था । 2006 में ही पाकिस्तान ने हिंसक कश्मीरी अलगाववादियों को सहायता पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए और आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत के साथ सहयोग करने पर राजी हुआ । विदेश मंत्रालय के कार्यकारी आतंकवाद-विरोधी समन्वयक, फ्रैंक उरबैन्सिक कहते हैं कि अमेरिका को पाकिस्तान सरकार से अच्छा सहयोग मिल रहा है और हमें आशा है कि यह जारी रहेगा । |