बाकू की एक अदालत ने अज़रबैजान के एक संपादक इनुल्ला फतुल्लायेव को दो साल 6 महीने जेल की सजा सुनाई है । उन पर अज़रबैजानियों की मानहानि का आरोप है । श्री फतुल्लायेव अज़ेरी भाषा के साप्ताहिक अखबार
गुंडालिक अज़रबेकन एवं रूसी भाषा के साप्ताहिक अखबार
रियलनी अज़रबैजान के संपादक हैं । उन पर आरोप है कि उन्होंने एक इंटरनेट फोरम में कहा है कि फरवरी, 1992 में नगोर्नो-काराबाख के खोदाजी शहर पर आर्मेनिया के फौजों के हमले के समय वहां 600 से अधिक लोगों की मौत के लिए कुछ हद तक अज़रबैजान के अधिकारी भी जिम्मेवार हैं । श्री फातुल्लायेव ने कहा है कि उन्होंने इंटरनेट पर जो लेख जारी किया, उसमें ऐसी टिप्पणी नहीं है ।
प्रेस की आजादी पर नजर रखने वाले एक संगठन कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट के कार्यकारी निदेशक जोएल साइमन ने कहा कि इनुल्ला फातुल्लायेव के साथ हुई वारदात अज़रबैजान में स्वतंत्र मीडिया के दमन की पहली घटना नहीं है । ऐसा सिलसिला चला हुआ है । इसे अक्सर राजनीतिक मंशा से दायर मानहानि मामलों के जरिये अंजाम दिया जा रहा है । श्री फातुल्लायेव ने अदालत के फैसले के तत्काल बाद वी.ओ.ए के लिए यह टिप्पणी की-
उन्होंने कहा कि अज़रबैजान में लोगों के जीवन की वास्तविकता की यह बहुत बड़ी विडंबना है । मैं नहीं समझ पा रहा कि अदालत के इस फैसले के बाद अज़रबैजान के राष्ट्रपति इलहेम एलियेव किस मुंह से यह कह सकेंगे कि यहां एक लोकतांत्रिक सरकार है और कानून का राज्य चलता है ।
श्री फातुल्लायेव को मानहानि के मामले में जेल भेजने की यह दूसरी घटना है । वर्ष 2006 में कानून को लागू करने वाले अज़रबैजान के एक बहुत बड़े अधिकारी की आलोचना के लिए उन्हें दो साल की निलंबित सजा सुनाई गई । यूरोपीय मामलों की अमेरिकी उप विदेश मंत्री मैट ब्रिजा का कहना है कि मानहानि को अपराध की श्रेणी में ला देना मानवाधिकार के लिए बहुत बड़ा खतरा है ।
उन्होंने कहा कि मानहानि को अपराध की श्रेणी में शुमार करने की इस प्रक्रिया को खत्म करना बहुत जरूरी है । इस खास मामले में यही किया गया है और रियलनी अज़रबैजान के एडीटर को जेल की बहुत लंबी सजा मिली है । लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं लगता कि उन्होंने मानहानि का कोई इतना बड़ा अपराध कर दिया हो । हमारा मानना है कि अगर मानहानि को आपराध न माना जाए तो मानवाधिकार की स्थिति सुधरेगी और लोकतंत्र मजबूत होगा ।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपनी इस सबसे ताजा मानवाधिकार रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2006 में अज़रबैजान की सरकार ने मीडिया को डराया-धमकाया और उसे तंग किया । उसने इस काम को मानहानि के मुकदमे के जरिये अंजाम दिया । हाईकोर्ट के जरिये मानहानि के आरोप में जुर्माना लगाए गए और ऐसे कदम उठाए गए, जिससे स्वतंत्र अखबारों और पत्रिकाओं की छपाई और वितरण में बाधा उत्पन्न हुई । अज़रबैजान के पत्रकारों पर हमले किये गए, उन्हें अगवा किया गया और अज्ञात हमलावरों ने उन्हें डराया-धमकाया भी । उनके हमलावरों को कभी गिरफ्तार नहीं किया गया ।
अमेरिकी विदेश मंत्री कोंडोलीज़ा राइस ने कहा है कि अमेरिका उन साहसी पुरुषों और महिलाओं के साथ डटे रहने के लिए वचनबद्ध है, जो अपनी आजादी और अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं ।