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अमेरिका और भारत के बीच पर्यावरण संरक्षण सहयोग में वृद्धि
06/04/2007

Environment Matters report by World Bank
Environment Matters report by World Bank
अमेरिका और भारत के बीच पर्यावरण संरक्षण, सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक विकास के मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने की सहमति बनी है । अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के प्रशासक स्टीफन जॉन्सन ने कहा है कि उन्होंने भारत के पर्यावरण एवं वन मंत्री ए. राजा के साथ जिस सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया है, उसमें भारत को अपनी आबो-हवा की गुणवत्ता को सुधारने एवं खतरनाक कचरों से निपटने में मदद की साझी कोशिशों की बात कही गई है । 

पिछले 5 सालों में अमेरिका और भारत ने कई पर्यवरणीय कदमों को लेकर साथ-साथ काम किया है । कैलीफोर्निया एयर रिसोर्स बोर्ड के साथ मिलकर भारत के शहर पुणे ने हवा की गुणवत्ता के प्रबंधन की योजना विकसित की, जिसका उपयोग अब भारत के 6 अन्य शहरों में हो रहा है ।

इसके अलावा अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी पुणे एवं महाराष्ट्र के साथ मिलकर डीजल बसों और ऑटो रिक्शा से वायु प्रदूषण को कम करने की तकनीक का प्रदर्शन करने की दिशा में मिलकर काम कर रही है । अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन और हैदराबाद मेट्रोपोलिटन वॉटर सप्लाय एंड सीवेज बोर्ड के साथ पीने के पानी के प्रदूषण को रोकने के काम में जुटा हुआ है । 

दी मीथेन टू मार्केट्स पार्टनरशिप सस्ते दर में मीथेन गैस के उत्सर्जन को वातावरण से वापस करने की दिशा में अग्रसर है । भारत इस संगठन का एक चार्टर सदस्य है । मीथेन एक प्रभावी ग्रीनहाऊस गैस है । ग्रीनहाऊस गैस ऐसी गैसें हैं, जो ग्रीनहाऊस प्रभाव पैदा करती हैं । सूर्य द्वारा धरती के लिए ताप के उत्सर्जन और उस ताप के वातावरण में फंस जाने को ग्रीनहाऊस प्रभाव की संज्ञा दी जाती है ।

दी मीथेन टू मार्केट पार्टनरशिप देशों और निजी क्षेत्रों के बीच संबंधों को बढ़ाने का काम करता है । इससे भागीदारों को लेंडफिल और कोयला खदानों एवं पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस क्षेत्र में मिथेन उत्सर्जन को रोकने में मदद मिलती है । इसके बाद इस खतरनाक कचरों को ऊर्जा और धन के स्रोतों के रूप में तब्दील किया जाता है ।

दुनिया में सबसे अधिक मीथेन उत्सर्जन करने वाले 7 देशों में भारत भी एक है । श्री जौन्सन कहते हैं कि मीथेन का अधिकतर भागों को कम खर्च में वापस किया जा सकता है और उसे एक साफ, विश्वसनीय और ऊर्जा के सस्ते स्रोत के रूप में बेचा जा सकता है । उनका कहना है कि मीथेन कोयले की जगह एक पर्यावरण हितैषी विकल्प बन सकता है । उल्लेखनीय है कि कोयला के जरिये ही भारत की आधी से अधिक विद्युत ऊर्जा पैदा की जाती है । श्री जॉन्सन ने कहा कि भारत सरकार और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स के साथ काम करते हुए अमेरिका ऐसी परियोजनाओं को विकसित करने की इच्छा रखता है, जिससे मीथेन का उत्सर्जन कम भी हो और बाजार को अधिक साफ ऊर्जा भी मुहैया हो ।

पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के प्रशासक स्टीफेन जॉन्सन कहते हैं- भारत और अमेरिका, दोनों अच्छा वैश्विक पड़ोसी होने के वचन से बंधे हुए हैं ।  उनका कहना है कि पर्यावरण का संरक्षण एक या चंद देशों के बूते की बात नहीं है । इसके लिए पूरी दुनिया को कोशिश करनी होगी ।


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